हारा नही हूँ मैं!
>> Tuesday, March 11, 2008
बहोत शिद्दत से ज़ुल्म उसने किया मुझपर मगर, इतना भी बेचारा नहीं हूँ मैं।
इस दुनिया में तन्हा ज़रूर हूँ, मगर हारा नहीं हूँ मैं।
किस्मत है जुदाई मेरी तो होती रहे ये भी,
उसको क्या लगा, आवारा नही हूँ मैं।
ऐतबार किया था जिसपर उसने मेरी मोहब्बत को कमजोरी समझा,
जाके उसको कह्दो के इतना भी बेचारा नही हूँ मैं।
अगर तेरी मुस्कराहट पर ज़िंदगी कुर्बान की थी कभी मैंने,
अब तेरी बेवफाई पे जान दूंगा, अब इतना भी दीवाना नही हूँ मैं।
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