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अकेलेपन का एहसास है।

>> Wednesday, January 23, 2008

आज फिर दिल उदास है ,
फिर अकेलापन का एहसास है .
तसव्वुर में फिर आगया कोई ,
फिर इन आँखों को रुला गया कोई ,
शायद इसी बात से दिल बर्बाद है ,
फिर अकेलेपन का एहसास है .

शिक़ायत करना भी चाहता है दिल मगर कैसे करे ,
इस दिल को खुद ही कि , की हुई गलतियों का एहसास है .
मुझे आज फिर अपने ही घर में अकेलापन महसूस हुआ
ज़िंदगी का एक और लम्हा आज कम हुआ ,
न जाने क्यों जो हो नही सकता आज फिर सोचा मैंने
मेरे खुदा मुझे बता दे क्यों तू मुझसे नाराज़ है .
फिर अकेलेपन का एहसास है

हज़ारों बार दिल को समझाया कि में भूल जाऊंगा तुझे ,
हज़ारों बार दिल को समझाया में न याद करूँगा तुझे
पता नही क्या होता है , हर बार ये आंसू बह जाते हैं ,
पता नही क्यों ये दील आज फिर से बेकरार है
फिर अकेलेपन का एहसास है

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