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तेरी तस्वीर

>> Thursday, February 28, 2008

तेरी तस्वीर को सीने से लगाकर रखा,
तू पास नही था मगर पास बिठाकर रखा।

न भरोसा था के तू है मेरे आस पास कहीं
मगर तेरे होने के एहसास को बनाकर रखा।

हर एक शय में नज़र आ रहा था तू मुझे
कहीं ऐसा तो नही के मैंने तुझे ख्वाब में देखा।

सितम कर ले मुझ पर तू कितना भी सनम,
तुने बस देखा है मुझे , अभी न मेरी बर्दाश्त को देखा।

ख़बर आई थी कुछ देर पहले के तू चला गया है दुनिया से,
मेरे बिन चला जाएगा तू कहीं , ये तो है दुनिया का धोखा।

1 comments:

परमजीत सिहँ बाली February 28, 2008 at 7:49 AM  

बहुत बढिया रचना है।बधाई।

न भरोसा था के तू है मेरे आस पास कहीं
मगर तेरे होने के एहसास को बनाकर रखा।

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