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तेरे मुहल्ले की गलियां!

>> Friday, February 29, 2008

के तेरे मुहल्ले की गलियां आज भी हमको बुलाती होंगी,
जब भी गुज़रते हैं हम उस पड़ोस से तो आवाज़ वो भी लगाती होंगी।
के सितम था जो उस रोज़ हुआ हमारे साथ में,
बस यही बात वो भी तो दोहराती होंगी।

मैं गए वक्त के मानिंद सा बन गया हूँ अब,
मुझे न याद करों लौट नही पाउँगा,
जिस तरह से तड़प रहा हूँ मैं आजकल,
मुझे याद करोगी तो तुम भी तड़प जाओगी।

हज़ार ख्वाब बुन रहा हूँ में तुम्हे बुलाने के लिए,
क्या अपनी गलियों की तरह तुम भी याद मुझे करती हो,
जिस तरह उम्मीद मुझे ये राहें दिलाती है,
क्या उस तरह तुम भी कोई उम्मीद सजाती हो,
कहीं ऐसा तो नही अब खुदा के बाद तुम भी मुझे तडपाओगी।

तेरी तस्वीर

>> Thursday, February 28, 2008

तेरी तस्वीर को सीने से लगाकर रखा,
तू पास नही था मगर पास बिठाकर रखा।

न भरोसा था के तू है मेरे आस पास कहीं
मगर तेरे होने के एहसास को बनाकर रखा।

हर एक शय में नज़र आ रहा था तू मुझे
कहीं ऐसा तो नही के मैंने तुझे ख्वाब में देखा।

सितम कर ले मुझ पर तू कितना भी सनम,
तुने बस देखा है मुझे , अभी न मेरी बर्दाश्त को देखा।

ख़बर आई थी कुछ देर पहले के तू चला गया है दुनिया से,
मेरे बिन चला जाएगा तू कहीं , ये तो है दुनिया का धोखा।

याद चलकर क्यों मेरे पास आ ही जाती है!

>> Tuesday, February 26, 2008

फिर याद चलकर मेरे पास क्यों आती है,
में जितना भागता हूँ इससे ये उतना क़रीब आती है।

यादें कुछ अच्छी, कुछ बुरी होती हैं ज़िंदगी में,
हर एक याद में एक ज़िंदगी गुज़र जाती है

सितम है अब ज़िंदगी पर यादों का भी ,
ये क्यों आती हैं ये क्यों जाती हैं।

सुहाना था कितना सफर, कितने ग़म थे गुज़रे
ये वो रेलगाडी है जो तसव्वुर के हर स्टेशन पर रुक के आती है।

मुबारक हो सभी को सफर यादों का, न आंसूं किसी की आँख से गुज़रे
हमारे साथ तो जालिम आज भी, जब भी आती है बहुत रुलाती है.

bahana

>> Sunday, February 24, 2008

किताब साथ हो लिखने का बहाना भी बने
लिखते रहें हम रात भर, और चिराग का सहारा भी बने

हज़ार ख्याल दिल में उतर जाते हैं तो क्या
इन्हे उतरने के लिए कागज़ की सीढियों का सहारा भी मिले
कसूर था, मेरा जो मैंने किया उस दिन
मेरे हर गुनाह को बताने वाला भी मिले
के ग़म ही नही दुनिया में जो तकलीफ देता है
कभी खुश रहना भी तकलीफ वाला लगे
मुझे चाहता तो बहोत था की तुझे भूल जाओं में
मगर वो क्या करे जिसकी यादों का दुश्मन ज़माना लगे।

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