तलब न होती मुहब्बत की तो ज़िंदगी मुश्किल होती!
>> Monday, May 26, 2008
तलब न होती मुहब्बत की तो ज़िंदगी मुश्किल होती,
किसी को भी दुआ की ज़रूरत न होती।
अगरचे नही होता दिल में किसीके लिए प्यार,
तो इस दुनिया में इबादत की ज़रूरत नहीं होती।
के इनकार कर नही सकते मुहब्बत के दुश्मन कभी भी,
वो भी नही होते अगर इस जहान में मुहब्बत नही होती।
मैं जानता हूँ मेरे मुंह से उसे ये बात पसंद न आएगी,
मगर हर दिल की बात किसीको मालूम नही होती।