Let's Search

जब भी बैठूंगा तन्हाई में, तेरी याद चली आएगी!

>> Wednesday, March 26, 2008

जब भी बैठूंगा तन्हाई में, तेरी याद चली आएगी,
और जब तक के मैं ख़ुद नही रो लेता ये नही जायेगी।

हाँ जानता हूँ मैं की ये भी तेरी ही दी हुई है,
वो खुशबु मोहब्बत थी तेरी वो भी एक दिन तेरे पास चली जायेगी।

तू चला गया यूं मुझे छोड़ कर अभी तक न यकीं आया,
क्या करूं ये यकीं ख़ुद ही तू एक दिन तोड़ जायेगी।

सितम है मुहब्बत का या है मेरा ही कसूर कोई,
वो दिन कब आएगा जब तू मुझे ये बताएगी।

हारा नही हूँ मैं!

>> Tuesday, March 11, 2008

बहोत शिद्दत से ज़ुल्म उसने किया मुझपर मगर, इतना भी बेचारा नहीं हूँ मैं।
इस दुनिया में तन्हा ज़रूर हूँ, मगर हारा नहीं हूँ मैं।
किस्मत है जुदाई मेरी तो होती रहे ये भी,
उसको क्या लगा, आवारा नही हूँ मैं।

ऐतबार किया था जिसपर उसने मेरी मोहब्बत को कमजोरी समझा,
जाके उसको कह्दो के इतना भी बेचारा नही हूँ मैं।

अगर तेरी मुस्कराहट पर ज़िंदगी कुर्बान की थी कभी मैंने,
अब तेरी बेवफाई पे जान दूंगा, अब इतना भी दीवाना नही हूँ मैं।

मुझे इनकार नही है प्यार मुझे भी!

>> Monday, March 10, 2008

मुझे इनकार नही है प्यार मुझे भी,
तसव्वुर है तेरा हर घड़ी, है इंतज़ार मुझे भी।

गज़ब का दिन होता है जब सुन लेता हूँ तेरे बारे में,
गुज़र जाते हैं यादों के मंज़र, जब सोच लेता हूँ तेरे बारे में,
मुझे कब तलक tadpaane का इरादा है तेरा,
अब तो बता दे, के ये पहेली अब बुझे भी।

मैं ख़ुद से खफा खफा सा हूँ.

>> Saturday, March 8, 2008

मैं ख़ुद से खफा खफा सा हूँ,
न जाने क्या वजह है के तनहा सा हूँ।

क्या पत्थर बन गया है दिल मेरा,
या पत्थर पे पड़ा आइना सा हूँ।
मैं ख़ुद से खफा खफा सा हूँ।

क्या वजह है के सितम कर रहा हूँ अपनों पे ही मैं,
क्यों दूसरों के साए से भी शर्मिंदा सा हूँ।
मैं ख़ुद से खफा खफा सा हूँ।

मुझे तन्हाई ही सुहाने लगी है क्यों,
क्यों मैं अकेले रहने पे ही आमादा हूँ।
मैं ख़ुद से खफा खफा सा हूँ।

के मुझे मौत देदे मेरे खुदा अब तो,
के ज़िंदगी से मैं अब हारा सा हूँ।
मैं ख़ुद से खफा खफा सा हूँ।

यूं तो बदतमीज़ या बद्क़लाम नही था मैं कभी भी,
पर क्या वजह है के हो गया बद अखलाक सा हूँ।
मैं ख़ुद से खफा खफा सा हूँ.

फिर किसी ने पुरानी राहों से आवाज़ दी है!

>> Tuesday, March 4, 2008

फिर किसी ने पुरानी राहों से आवाज़ दी है,
फिर किसी ने वो दर्द भरी याद दी है।

हम तो भूल चले थे उसको हमेशा के लिए
मगर क्या करें हर एक लम्हे ने उनकी याद दी है।

दिन तो गुज़र जाता है यूँही मगर,
रातों ने न भूलने की सौगात दी है।

तड़प रहा था मैं तेरी तस्वीर देखकर,
फिर से तस्वीर ने मेरे साथ दगा की है।

हर एक आंसू जो गिर रहा है मेरा सनम,
हर इस आंसू ने तुझे आवाज़ दी है।

ये शाम मुस्कुराएगी तो नींद आएगी!

>> Saturday, March 1, 2008

ये शाम मुस्कुराएगी तो नींद आएगी!
जब तू नज़र आयेगी तो नींद आयेगी।

गुज़र जायेगी ये रात अगर ऐसा न हुआ,
हम तो रोयेंगे पर तुम्हे भी न नींद आयेगी।

तड़प जाओगे जब भी मेरे बारे में सोचोगे,
निकल जायेगी आह जब भी मुझे भुलोगी।

सितम करने की कोशिश तो बहुत की तुमने दिलबर,
जो पहले से ही मारा हुआ है उसे और कितना नुकसान पहुँचाओगी।

गज़ब होगा वो दिन भी समान मेरे लिए
जिस रोज़ मुझसे रूठ कर चली जाओगी।

  © Blogger templates Shiny by Ourblogtemplates.com 2008

Back to TOP